श्री महर्षि सांदीपनी आश्रम शीप्रा नदी पर स्थित गंगा घाट के समीप स्थित है ,और महाकालेश्वर मंदिर से 7 किलोमीटर की दुरी पर है।
भगवान श्रीकृष्ण एवं उनकेसखा सुदामा ने यहां पर महर्षि सांदीपनी जी से शिक्षा ग्रहण कि थी। उस समय तक्षशिला तथा नालंदा की तरह अवन्ती भी ज्ञान विज्ञान औरसंस्कृति का केंद्र थी। श्री मद्भागवत, महाभारत तथा अन्य कई पुरानों में यहाँ का वर्णन है । इस स्थाप पर एक कुंड भी स्थित है जिसे गोमती कुंडके नाम से जाना जाता है। इस कुंड में भगवान् श्री कृष्ण ने गुरूजी को स्नानार्थ गोमती नदी का जल सुगम कराया था इसलिए यह सरोवरगोमती कुंड कहलाया । इस स्थान पर गुरू सांदीपनी जी, कृष्ण, बलराम एवं सुदामा की मनोहारी मर्तियां भी विराजमान है। सांदीपनी परम तेजस्वी तथासिद्ध ऋषि थे। श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने के पश्चात मथुरा का समस्त राज्य अपने नाना उग्रसेन को सौंप दिया था। इसके उपरांत वसुदेव और देवकी ने कृष्णको यज्ञोपवीत संस्कार के लिए सांदीपनी ऋषि के आश्रम में भेज दिया, जहाँ उन्होंने चौंसठ दिनों में चौंसठ कलाएँ सीखीं। सांदीपनी ऋषि के आश्रम में हीकृष्ण और सुदामा की भेंट हुई थी, जो बाद में अटूट मित्रता बन गई।
सांदीपनी ऋषि द्वारा कृष्ण और बलराम ने अपनी शिक्षाएँ पूर्ण की थीं।
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