काल भैरव का यह मंदिर लगभग 6000 साल पुराना माना जाता है ,यह एक तांत्रिक मंदिर है इस मंदिर को वाम मार्गी मंदिर भी मांन सकते हो ऐसे मंदिरों में मांस मदिरा बली मुद्रा जैसे प्रसाद चढ़ाये जाते हैं, पुराने समय में यहां पर सिर्फ तांत्रिकों ही आने की अनुमति होती थी कुछ विशेष अवसरों पर कॉलभेरव को मदिरा का भोग भी चढ़ाया जाता था, पर आज के समय में यह मंदिर आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया है, और यहां पर मदिरा का भोग अभी बाबा ने स्वीकारना यूं जारी रखा है मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यहां विशिष्ट मंत्रो को द्वारा बाबा को अभिमंत्रित कर उन्हें मदिरा का पान कराया जाता है जिन्हें वह बहुत खुशी के साथ स्वीकार भी करते हैं !बहुत बार इस बात पर बहस हो चुकी हूं कि आखिर मदिरा जाती कहां पर है मदिरा के पीछे राज क्या है लेकिन पुराने जमाने के लोग बताते की एक अंग्रेज अधिकारी ने मंदिर की जांच करवाई थी, लेकिन कुछ भी उसके हाथ नहीं लगा उसके प्रतिमा के आसपास की जगह भी खुदाई कराई लेकिन कहीं भी उसको मदीरि का अंश नहीं मिला। उसके बाद वह खुद भी काल भैरव के भक्त बन गए.! पुजारी बताते हैं कि यहां पर आने वाले हैं हर भक्त काल भैरव बाबा को मदिरा जरूर चढ़ाता है बाबा के मुंह से मदिरा का कटोरा लगाने के बाद में मदिरा धीरे-धीरे गायब हो जाती है आज भी आप काल भैरव मंदिर में जा कर देख सकते हो..!
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