जानिए कैसे बनता है मांगलिक दोष
किसी जातक की कुंडली में सप्तमी या अष्टम प्रथम यह चतुर्थ एवं द्वादश भाव में मंगल स्थित है तो इसकी कुंडली मांगलिक मानी जाती है वैसे हर स्थिति में मांगलिक दोष अशुभनहीं होता है कुछ लोगों के लिए शुभ भी होता हैमांगलिक दोष वाले जातक मांगलिक दोष वाले जातक को प्रति मंगलवार को मंगल देव की निमित्त विशेष पूजा करना चाहिए मंगल देव की प्रिय वस्तु को प्रसन्न करने के लिए लाल कपड़े का दान एवं लाल मसूर की दाल आदि दान करना चाहिए
मंगल के प्रभाव :-
मंगल दोष से प्रभावित कुंडली जो रहती है उसे दोषपूर्ण माना जाता है अशुभ मंगल के कारण जातक को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे संतान से दुख मिलना विवाहित जीवन में परेशानी आना रक्त संबंधित बीमारियों का होना हमेशा तनावपूर्ण रहना इस प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है
यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल ज्यादा अशुभ होता है तो उस जातक को बहुत ही कठिनाई से जीवन गुजरता है मंगल दोष के कारण जातक उत्तेजित रहता है उससे व्यक्ति सारे काम उत्तेजना में करता है जिससे उसे अधिकांश कामों में असफलता मिलती है
किन-किन स्थिति में नहीं होता है मंगल दोष :-
यदि मंगल सूर्य के पास अष्टांग में हूं
यदि मंगल मेष राशि के पहले घर में हो
यदि मंगल कर्क राशि में नीचे घर में हो
यदि मंगल मकर राशि के सातवे घर में हो
यदि मंगल धनु राशि के 12 वे घर में हो
मांगलिक दोष पूजन स्थान :-.
शास्त्रों के अनुसार उज्जैन में मंगल देव का जन्म स्थान है जहां पर मंगल दोष पूजा उज्जैन के सभी दोष के निवारण हेतु पूजन पाठ कराया जाता है इसी यहां पर मान्यता है मंगल देव के लिए ही यहां पर भात पूजा की जाती है मंगल की शांति के लिए भगवान मंगल की स्तुति करें मूंग की तांबा सोना केहू लाल वस्त्र लाल चंदन लाल फूल केसर कस्तूरी आदि का दान करें यदि प्रति मंगलवार भी हनुमान चालीसा का पाठ कराया जाए तब भी मंगल दोष की समाप्ति हो जाती हैंहनुमान जी के पूजन से ही मंगल के साथ ही शनिदेव के दोषो का भी निवारण हो जाता है
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