कालसर्प दोष एक ऐसा दुर्योग है जो जन्मपत्रिका में हो तो जातक का जीवन संघर्षमय होता है। कालसर्प को लेकर बहुत भ्रम व संशय उत्पन्न किया जा रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण है इस दोष की विधिवत् शांति के बारे में प्रामाणिक जानकारी का अभाव, जिसके चलते कुछ लोग इसे मान्यता ही नहीं देते हैं। जो लोग इसकी शांति के नाम पर कुछ कर्मकाण्ड करा चुके होते हैं वे भी कालसर्प दोष पर प्रश्नचिन्ह लगाते नज़र आते हैं। उनका तर्क होता है कि शांति के उपरान्त भी कोई लाभ नहीं हुआ। कालसर्प दोष की शांति के साथ कुछ भ्रान्तियां जुड़ी हुई हैं जैसे किसी विशेष स्थान पर ही इसकी शान्ति होना आवश्यक है।
इन लक्षणों से पहचाने की कालसर्प दोष है 1. मेहनत का पूर्ण फल प्राप्त 2. व्यवसाय में हानि बार-बार होना। 3. अपनों से ठगा जाना। 4. अकारण कलंकित होना। 5-विवाह नहीं होना या वैवाहिक जीवन अस्त-व्यस्त होना। 6. बार-बार चोट-दुर्घटनाएं होना। 7. स्वास्थ्य खराब होना। 8.अच्छे किए गए कार्य का यश दूसरों को मिलना। 9.भयावह स्वप्न बार-बार आना, नाग-नागिन बार-बार दिखना। 10.काली स्त्री, जो भयावह हो या विधवा हो, रोते हुए दिखना।
कौन सा है विशेष मुहरत कालसर्प दोष के लिए ??
सामान्यत: कालसर्प दोष शांति हेतु लगभग प्रतिमाह मुहूर्त बनते हैं किन्तु श्रावण मास, नागपंचमी व श्राद्ध पक्ष कालसर्प दोष की शांति हेतु सर्वोत्तम होते हैं।
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