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Posted on : 02 Apr 2020
प्रत्येक जातक की कुंडली को राहु और केतु 180 यूनिटी डिग्री पर विच्छेदन करते हैं किसी ने किसी भाव जब समस्त गृह राहु से लेकर केतु के मध्य आ जाते हैं तब कालसर्प दोष बनता है  राहु और केतु क्या है :-   कुंडली में केतु राहु की उपस्थिति रहती है   यह दोनों छाया ग्रह है तो इनकी उपस्थिति अनिवार्य है यह दोनों चंद्रमा के बिंदु है क्या असर डालता है जातक के जीवन में कालसर्प दोष= यह कालसर्प दोष जातक के जीवन में बहुत अधिक संघर्ष का कारण बनता है इसके कारण कहीं पर भी उन्नति एवं सफलता नहीं मिलती है चाहे वह परिवार हो या व्यवसाय हो.! कालसर्प दोष की कहीं रूप है जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि किन भाव में या दोस्त बन रहा है इसकी सबसे बड़ी बात यह है कि एक भी ग्रह अगर राहु और केतु से बाहर हुआ तो यह दोष नहीं बनता है बता वहां पर कालसर्प दोष नहीं रहता है कैसे करें कालसर्प दोष का निवारण : अगर जातक में संपूर्ण भक्ति भाव का जब तक एवं साधना का संकल्प है तो यह उपाय सबसे ज्यादा कारगर साबित होते हैं अगर जातक के पास समय का अभाव है यश सशक्त भक्ति और समर्पण की कमी है तो फिर दान का महत्व है इसे काल भैरव के मंदिर में कुत्तों को खाना खिलाना शिव मंदिर में दोष पहनाना गरीबों में कंबल बांटना इस तरह के दान से इस दोष का निवारण किया जा सकता है यंत्र-तंत्र = कुछ लोगों का ज्यादा विश्वास है नेत्र में भी रहता है इसी आओ यंत्र अंगूठी बनवाना इस प्रकार से भी अब कालसर्प दोष का निवारण कुछ हद तक कर सकते हैं कालसर्प दोष पूजा के लिए विशेष स्थान -: इस पूजा के लिए मुख्यत नासिक और उज्जैन में महत्वपूर्ण स्थान माने जाते हैं यजमान यहां पर पंडित जी के माध्यम से विधि विधान से कालसर्प दोष के निवारण हेतु पूजा करवाते हैं उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करते हैं 

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